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यस आई एम— 40






















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उदय ने एक लंबी गहरी सांस ली और सब कुछ एक ही सांस में बोलना शुरू कर दिया। "जब से मैंने आपको पहली बार देखा था तभी से मै............." इतना कहकर वह हकलाने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।



"जब से मैंने आपको पहली बार देखा था तभी से मुझे आपकी तरफ एक अलग ही खीचाव महसूस होने लगा था। मै चहाकर भी खुद को रोक नहीं पाया, मैने खुद को रोकने की लाख कोशिशें की आप में ना जाने कौन सा मैग्नेंट लगा हुआ था जो मै खुद को नही रोक पाया। 



मैने आपके बारे में हर कही से बस तारीफे ही सुनी थी। एक लड़के को चाहिए ही क्या सुंदर लड़की हो उसमें तो आपसे सुंदर कोई हो ही नही सकती, दूसरी गुण बुद्धिमानी का होना चाहिए आप से इंटेलीजेंट तो हमारे यहां कोई भी नही है।"





लड़की इतनी बात सुनकर मन ही मन सोचने लगी और खुद से ही बोली। "ये लड़के लोग स्कूल कॉलेज में पढ़ने जाते है या फिर आशिकी सीखने। डायलॉग तो ऐसे बोलते है जैसे अपनी सारी जागीर मेरे नाम कर देंगे। ये लोग प्यार के बारे में जानते ही क्या है जो इतनी बड़ी बड़ी बातें फेंकते है। इनका कुछ भी नही हो सकता.........।" वह आगे कुछ सोच पाती किसी ने उसे पकड़कर झकझोर दिया जिसकी वजह से वह वास्तविकता में आ गई। जिस ने झकझोरा था वह कोई ओर नही बल्कि उदय था जिसने ये सब किया था।



उदय की इस हरकत की वजह से उसे बहुत गुस्सा आ गया वह अपने गुस्से पर काबू पाते हुए बोली जिससे वहां पर मौजूद कोई भी उसकी बातों को ना सुन सके। " पागल हो गए हो क्या.......? जो मुझे इस तरह से पकड़ रहे हो। तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर भी है या पागलपन दिमाग पर सवार हो गया है...........? तुम मुझे आवाज भी तो लगा सकते थे पर नही.......लड़की कुछ बोल नहीं रही तो जो मर्जी चाहो वो कर लो।"



उस के इस तरह के रवैए को देखकर उदय बहुत ज्यादा डर गया वह अपने डर पर काबू पाते हुए हकलाते हुए बोला। " ऐसा कुछ भी नही है जैसा आप सोच रही है। मैने आपको बहुत आवाज लगाई पर आप ही ना जाने कहां पर खोई हुई थी। जब आपने मेरी एक भी आवाज ना सुनी तो बड़ा सोच विचार करने के बाद ही मैंने ये फैसला किया वरना मैं ऐसा कभी भी नही करने वाला था.......पर आप ही मुझे नही सुन रही रही तो मैं क्या करता।" 



उदय की इतनी बात सुनकर लड़की मासूम सा मुंह बनाते हुए बोली। "ओह......मै ही कुछ सोचने लगी थी जिसकी वजह से मुझे तुम्हारी आवाज सुनाई नहीं दी। मुझे माफ कर देना जो मै तुम्हारे ऊपर इस तरह से चिल्लाई। तुम्हें यकीन नही होगा पर मैं इस तरह से किसी के भी ऊपर नही चिल्लाती। पर अगर अचनाक से कोई ऐसी हरकत करेगा तो......खुद ही सोच लो कैसा लगेगा।" इतना कहने के बाद वह चुप हो गई और मन ही मन सोचने लगी।

" अगर मेरे आसपास जरा सी भी आवाज होती है तो मुझे तो उसका भी पता चल जाता है तुम तो फिर भी इतनी तेज चिल्लाए थे की उससे तो मेरे कानों के पर्दे तक फट गए। ये लड़का बोल रहा है की मुझे आवाज नही सुनाई दी। मुझे तो तुम्हे सुनाने का बस बहाना चाहिए था जो मुझे मिल गया। देखा जाए तो ये बढ़िया तरीका भी है पहले किसी के ऊपर अपनी पूरी भड़ास निकाल दो और बाद में बोल दो कुछ सोच रही थी। वैसे इस अस्त को सुनाने में मजा ही आ गया मेरा मन तो इसे मारने का कर रहा है पर ऐसे थोड़े हो मार सकती हूं इसे उसके लिए तो मुझे प्लानिंग करनी पड़ेगी और वो भी बढ़िया वाली। "





उदय लड़की को ही बड़े गौर से देख रहा था कुछ देर तक इसी तरह से देखने के बाद वह बोला। " आपने कुछ देर पहले कहां था की आप कुछ सोच रहीं थी। अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या मै आपसे पूछ सकता हूं की आप क्या सोच रही थी........?"





इतना सुनकर वह उदय को अजीब तरीके से देखने लगी जिसे देखकर उदय झेंप गया और छत की तरफ देखने लगा। 



वह उदय को अजीबों गरीब हरकतों को देखकर मन ही मन हंस रही थी क्योंकि वह उसे किसी कार्टून से कम नहीं लग रहा था। वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली। " मै जो सोच रही थी वह यह था की ............................." इतना कहने के बाद वह चुप हो गई और फिर अचनाक से चुप हो गई।



लड़की के इतना सस्पेंस क्रिएट करने की वजह से उदय की अजीब सी अनहोनी की आशंका के मारे हालत खराब हो रही थी। लड़की की इस हरकत की वजह से वह सोच रहा था पर नही यह मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी की मै कैसा लड़का हूं जो ऐसी हरकतें कर रहा हूं। कही यह मुझे लफंगा और आवारा टाईप का लड़का ना समझ बैठे। मै भी क्या करता आज यह लग हो इतनी खुबसूरत रही थी की मै खुद को इस से बातें करने से नही रोक पाया। इसी के साथ साथ उदय के मन में अनगिनत विचार चल रहे थे। जिसको बस वह लड़की ही अपने जवाब ही शान्त कर सकती थी पर वह थी की कुछ कहने का नाम ही नही ले रही थी। ऐसा लग रहा था उसे लड़के की यह हालत देखकर मन ही मन बहुत खुश हो रही है।



चुप तो वह लड़की भी बैठी नही थी इस वक्त उसके दिमाग में भी अनगिनत विचार चल रहे थे। अभी जो कुछ चल रहा था उसमें वह सोच रही थी। इस तरह से किसी को परेशान करने में कितना मजा आता है बात कुछ होती भी नही और सामने वाली की सस्पेंस के मारे जान निकल जाती है जो भी हो मजा बहुत आता है। अब इस अस्त के बच्चे को जी देख लो मै कुछ सोच भी नही रही पर मेरी इस आधी अधूरी बात की वजह ने इसकी हालत खराब कर दी है। सोचने तो इसे जो भी सोचना है मुझे तो इसे इस हालत में देखकर बहुत सुकून मिल रहा हैं।



कुछ देर खुद में खोए रहने के बाद वह अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोली।



"मै यह जानना चाहती थी की तुमने मुझे पहले बार कब देखा जो तुम मेरे लिए इतने पागल हो गए और पूरी कहानी क्या है?क्या तुम मुझे डिटेल में बताओगे।"

इतनी बात कहने के बाद उसने एक प्यारी सी स्माइल पास की जिसे देखकर कोई भी उसे बात बताने से इंकार नहीं कर सकता था। फिर उदय तो लड़की के पीछे पूरी तरह से पागल हो चुका था।





★★★





To be continued


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1 Comments

Nicely written....

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